
तुम कौन ?
तुम कौन जो धीमे सा एक गीत सुना देता है ,
मन के अन्दर एक रौशन करता दीप जला देता है|
बंद कर ली मैंने सुननी कानों से आवाजें ,
जब से सुन ली मैंने अपने दिल की ही आवाजें ||
तुम भूखे बच्चो के मुंह से निकली क्रंदन वेदना सी,
तुम जर्जर होते अपेक्षित माँ बापू के विस्मय सी |
तुम पेट की भूख की खातिर दौड़ते बेरोजगार युवा सी,
तुम खुद को स्थापित करती एक नारी की कोशिश सी,
तुम आतंकियों की भेदी लाशो की निरीह आत्मा सी ||
तुम हो दर्द चहुँ दिशा फैला,
क्यों मन मेरे प्रज्वलित हुवा है,
धधका जाता है मेरे मन में फैला हुवा इक भय सा,
मैंने बंद कर ली है कानो से सुननी वो आवाजें
आत्म चिंतन - मंथन पीड़ा की,
दूर करे जो इस जग से मेरे
वो अवतरित हुवा इस युग का कृष्ण,
तुम हो या तुम हो या -
तुम में कौन ?..By Dr Nutan Gairola
by Dr Nutan Gairola .. 20:41 ..01 - 09 - 2010
कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण को पुकार..
आज इस युग में हमें कृष्ण की बहुत जरुरत है समाज में छाई बुराइयों का अंत करने के लिए .. और वो कृष्ण हम में भी विद्वमान है .. जरूरत है अपने अन्दर झाँकने की ..और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की .. बुराइयों को पराजित करने की और हिम्मत सच का साथ देने की ..

सुंदर रचना पर भी टिप्पणी नहीं ! ख़ैर... अच्छा लिखा है जी आपने.
ReplyDeletekajal ji... aapka bahut bahut shukriyaa..
ReplyDeleteगहन अनुभूति और विचार मंथन से उपजी कविता -
ReplyDeleteनूतन जी, बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति है आपकी. विश्वास ही नही होता कि आप एक डॉक्टर भी हो. जिसका काम चाकू आदि से ऑपरेशन करना हो उसकी कलम भी इतने सशक्त हो सकती है. साधुवाद. आगे की रचनाओं का इंतजार रहेगा.
ReplyDeletedr.nutan....badaa karun krandan hai ye....lagta hi nahin ki vandan hai ye....badi gahari anubhuti hai...aapke bheetar jo bahati hai....
ReplyDeletehi ma'am i want ur email id so please i waiting ur reply, thanking u
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